Tuesday, June 28, 2016

अध्याय: १७ - क्रियापदस्य विभज्य प्रयोग:


अभ्यासः १७. १ (पृष्ठसङ्ख्या  ४६)

१.  रहस्यस्य उद्घाटनं करोति | 
२. सज्जनस्य सत्कारं करोति |
३. वस्त्राणां प्रक्षालनं कुर्वन्ति |
४. मूर्ते: प्रतिष्ठापनं करोति |
५.  धनस्य अर्जनं करोमि |
६. पाठस्य अनुवादं कुर्म:| 
७. मित्रस्य आह्वानं करोषि |



अभ्यासः १७. २ (पृष्ठसङ्ख्या  ४७)

१. ग्रंथस्थ पठनं अकरोत् |
२. समस्याया: परिहारं करोमि |
३. विद्द्यालयस्य उद्घाटनं कुर्म: | 
४. मित्रस्य आह्वानं करोति |
५. चित्रस्य मण्डनं करोति | 
६. प्रस्तावस्य उपस्थापनं करोमि |
७. मुखस्य अलङ्करणं करोषि |  
८. पाठस्य परिशोधनं कुर्म: |
९. श्लोकस्य अनुवादं करोमि |
१०. विज्ञानप्रदर्शिन्या: आयोजनं करोति |


अभ्यासः १७. ३ (पृष्ठसङ्ख्या  ४८)

१. अनुकरणं कुर्वन्ति |
२. पानं करोति |
३. लालनं करोति |
४. पाठनं करोमि |
५. गमनं कुर्म: |
६. गानं करोषि |
७. धावनं कुरुथ:|
८. आच्छादनं करोति | 
९. मण्डनं करोति |
१०. विवरणं करोति |
११. संग्रहणं करोति |
१२. प्रक्षालनं करोति |
१३. अनुपालनम् कुर्म:|
१४. सम्मार्जनम् कुर्वन्ति |
१५. परिभ्रमणं करोति |
१६. प्रक्षालनं करोति |
१७. पालनं कुरुथ |
१८. अन्वेषणं कुर्म:|
१९. गमनं करोति |

अभ्यासः १७. ४ (पृष्ठसङ्ख्या  ४९)
१. ते आच्छादयन्ति |
२. सा परिहरति | 
३. त्वम् अन्वेषयसि |
४. वयं चिन्तयाम: |
५. तौ लालयत: |
६.  आवाम् नमाव: | 
७. वयं पठाम: |
८.  अहं भ्रमामि |
९. यूयं अनुसरथ |


अभ्यासः १७. ५ (पृष्ठसङ्ख्या  ४९)
१. सा कृष्णफलकस्य मार्जनं करोति |
२. वयं इतिहासस्य लेखनं कुर्म:|
३.  ते देवानां पूजनं कुर्वन्ति |
४. त्वं वस्त्रस्य धारणं करोषि | 
५. छात्र: ज्ञानस्य अर्जनं करोति |
६. महिला: अतिथे आह्वानं कुर्वन्ति |
७. स: यानानां प्रक्षालनं करोति |
८. अहं योजनाया: उद्घोषणं करोमि |
९. त्वं कार्यक्रमाणां उद्घाटनं करोषि |
१०. ता: प्रतिभाया: प्रदर्शनं कुर्वन्ति |

  

1 comment:

  1. 'वदति' इत्यस्य विभज्य प्रयोगः कः
    'वदनं करोति' सम्यक् अस्ति वा?

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