अभ्यास: ११.१ (पृष्ठसङ्ख्या २८)
१. कवि: रचयति | कवी रचयत: | कवय: रचयन्ति |
२. यानं चलति | याने चलत: | यानानि चलयन्ति |
३. माता पालयति | मातरौ पालयत: | मातर: पालयन्ति |
४. पिक: कूजति | पिकौ कूजत:| पिका: कूजन्ति |
५. बाल: चुटति | बालौ चुटत: | बाला: चुटन्ति |
६. वृक्षः फलति | वृक्षौ फलत: | वृक्षा: फलन्ति |
७. महिला जल्पति | महिले जल्पत: | महिला: जल्पन्ति |
८. वस्त्रं शुष्यति | वस्त्रं शुष्यत: | वस्त्रं शुष्यन्ति |
९. शुक: रटति | शुकौ रटत: | शुका: रटन्ति |
१०. चोर: चोरयति | चोरौ चोरयत: | चोरयन्ति
११. पुष्पं विकसति | पुष्पे विकसत: | पुष्पाणि विकसन्ति |
१२. वानर: आरोहति | वानरौ आरोहत: | वानरा: आरोहन्ति |
१३. पिता नयति | पितरौ नयत: | पितर: नयन्ति |
१४. मशक: दशति | मशकौ दशत: | मशका: दशन्ति |
१५. कार्यं सिध्यति | कार्ये सिध्यत: | कार्याणि सिध्यन्ति |
१६. सौचिक: सीव्यति | सौचिकौ सीव्यत: | सौचिका: सीव्यन्ति |
१७. मूर्ख: निन्दन्ति | मूर्खौ निन्दत: | मूर्खा: निन्दन्ति |
१८. चालक: चालयति | चालकौ चालयत: | चालका: चालयन्ति |
१९. कृषक: कर्षति | कृषकौ कर्षत: | कृषका: कर्षन्ति |
२०. भगिनी स्निह्यति | भगिन्यौ स्निह्यत: | भगिन्य: स्निह्यन्ति |
२१. सिंह: गर्जति | सिंहौ गर्जत:| सिंहा: गर्जन्ति |
२२. चटक: कूजति | चटकौ कूजत: | चटका: कूजन्ति |
२३. तक्षक: तक्षति | तक्षकौ तक्षत: | तक्षका: तक्षन्ति |
२४. कार्यकर्ता संञ्चरति | कार्यकर्तारौ सञ्चरत: | कार्यकर्तार: सञ्चरन्ति |
२५. वैद्य: चिकित्सति | वैद्यौ चिकित्सत: | वैद्या चिकित्सन्ति |
१. कवि: रचयति | कवी रचयत: | कवय: रचयन्ति |
२. यानं चलति | याने चलत: | यानानि चलयन्ति |
३. माता पालयति | मातरौ पालयत: | मातर: पालयन्ति |
४. पिक: कूजति | पिकौ कूजत:| पिका: कूजन्ति |
५. बाल: चुटति | बालौ चुटत: | बाला: चुटन्ति |
६. वृक्षः फलति | वृक्षौ फलत: | वृक्षा: फलन्ति |
७. महिला जल्पति | महिले जल्पत: | महिला: जल्पन्ति |
८. वस्त्रं शुष्यति | वस्त्रं शुष्यत: | वस्त्रं शुष्यन्ति |
९. शुक: रटति | शुकौ रटत: | शुका: रटन्ति |
१०. चोर: चोरयति | चोरौ चोरयत: | चोरयन्ति
११. पुष्पं विकसति | पुष्पे विकसत: | पुष्पाणि विकसन्ति |
१२. वानर: आरोहति | वानरौ आरोहत: | वानरा: आरोहन्ति |
१३. पिता नयति | पितरौ नयत: | पितर: नयन्ति |
१४. मशक: दशति | मशकौ दशत: | मशका: दशन्ति |
१५. कार्यं सिध्यति | कार्ये सिध्यत: | कार्याणि सिध्यन्ति |
१६. सौचिक: सीव्यति | सौचिकौ सीव्यत: | सौचिका: सीव्यन्ति |
१७. मूर्ख: निन्दन्ति | मूर्खौ निन्दत: | मूर्खा: निन्दन्ति |
१८. चालक: चालयति | चालकौ चालयत: | चालका: चालयन्ति |
१९. कृषक: कर्षति | कृषकौ कर्षत: | कृषका: कर्षन्ति |
२०. भगिनी स्निह्यति | भगिन्यौ स्निह्यत: | भगिन्य: स्निह्यन्ति |
२१. सिंह: गर्जति | सिंहौ गर्जत:| सिंहा: गर्जन्ति |
२२. चटक: कूजति | चटकौ कूजत: | चटका: कूजन्ति |
२३. तक्षक: तक्षति | तक्षकौ तक्षत: | तक्षका: तक्षन्ति |
२४. कार्यकर्ता संञ्चरति | कार्यकर्तारौ सञ्चरत: | कार्यकर्तार: सञ्चरन्ति |
२५. वैद्य: चिकित्सति | वैद्यौ चिकित्सत: | वैद्या चिकित्सन्ति |
अभ्यास: ११,२ (पृष्ठसङ्ख्या २९)
१. बाल: प्रविशति | बालौ प्रविशत: | बाला: प्रविशन्ति |
२. सेवक: भ्रमति | सेवकौ भ्रमत: | सेवका: भ्रमन्ति |
३. भक्त: अर्चति | भक्तौ अर्चत: | भक्ता: अर्चन्ति |
४. अतिथि: प्रविशति | अतिथी प्रविशत: | अतिथय: प्रविशन्ति |
५. पण्डित: चिन्तयति | पण्डितौ चिन्तयत: | पण्डिता: चिन्तयन्ति |
६. साधु ध्यायति | साधू ध्यायत: | साधव: ध्यायन्ति |
७. बाल: विस्मरति | बालौ विस्मरत: | बाला: विस्मरन्ति |
८. सेवक: अर्चति | सेवकौ अर्चत: | सेवका: अर्चन्ति |
९. भक्त: ध्यायति | भक्तौ ध्यायत: | भक्ता: ध्यायन्ति |
१०. अतिथि चिन्तयति | अतिथी चिन्तयत: | अतिथय: चिन्तयन्ति |
११. पण्डित: प्रविशति | पण्डितौ प्रविशत: | पण्डिता: प्रविशन्ति |
१२. साषु भ्रमति | साधू भ्रमत: | साधव: भ्रमन्ति |
१३. बाल: चिन्तयति | बालौ चिन्तयत: | बाला: चिन्तयन्ति |
१४ सेवक: प्रविशति | सेवकौ प्रविशत: | सेवका: प्रविशन्ति |
१५. भक्त: भ्रमति | भक्तौ भ्रमत: | भक्ता: भ्रमन्ति |
अभ्यास: ११.३ (पृष्ठसङ्ख्या ३२)
१. अहं सेवां करोमि | आवां सेवां कुर्व: | वयं सेवां कुर्म: |
२. त्वं सेवां करोषि | युवां सेवां कुरुथ: | यूयं सेवां
३. अहं भजनं शृणोमि | आवां भजनं शृणुव: | वयं भजनं शृणुम: |
४. त्वं प्रवचनं शृणोसि | युवां प्रवचनं शृणुथ: | यूयं प्रवचनं शृणुथ |
५. अहं वस्त्रं चिनोमि | आवां वस्त्रं चिनुव: | वयं वस्त्रं चिनुम: |
६. त्वं शाकं चिनोसि | युवां शाकं चिनुथ: | यूयं शाकं चिनुथ |
७. अहं दातुं शक्नोमि | आवां दातुं शक्नुव: | वयं दातुं शक्नुम: |
८. त्वं ज्ञातुं शक्नोसि | युवां ज्ञातुं शक्नुथ | यूयं ज्ञातुं शक्नुथ |
९. अहं ज्ञानं प्राप्नोमि | आवां ज्ञानं प्राप्नुव: | वयं ज्ञानं प्राप्नुम: |
१०. त्वं उद्दोगं प्राप्नोसि | युवां उद्दोगं प्राप्नुथ: | यूयं उद्दोगं प्राप्नुथ |
११. अहं शत्रुं गृह्णामि | आवां शत्रुं गृह्णीव: | वयं शत्रुं गृह्णीम:|
१२. त्वं चोरं गृह्णासि | युवां चोरं गृह्णीथ: | यूयं चोरं गृह्णीथ |
१३. अहं भूमिं क्रीणामि | आवां भूमिं क्रीणीव: | वयं भूमिं क्रीणीम: |
१४. त्वं भवनं क्रीणासि | युवां भवनं क्रिणीथ: | यूयं भवनं क्रीणीथ |
१५. अहं रामायणं जानामि | आवां रामायणं जानीव: | वयं रामायणं जानीम: |
१६. त्वं महाभारतं जानासि | युवां महाभारतं जानीथ: | यूयं महाभारतं जानीथ |
१७. अहं पीडया रोदिमि | आवां पीडया रुदव: | वयं पीडया रुदम: |
१८. त्वं भीत्या रोदिसि | युवां भीत्या रुदथ: | यूयं रुदथ |
१९. अहं धनं ददामि | आवां धनं दद्व: | वयं धनं दद्म: |
२०. त्वं भोजनं ददासि | युवां भोजनं दत्थ: | यूयं ददथ |
अभ्यास: ११.४ (पृष्ठसङ्ख्या 33)
१. विधाता सर्वं जानाति | विधातर: सर्वं जानन्ति |२. वक्ता भाषणं करोति | वक्तार: भाषणं कुर्वन्ति |
३. पङगु चलितुं शक्नोति | पङ्गव: चलितुम् शक्नुवन्ति |
४. मार्जार: मूषकं गृह्णाति | मार्जारा: मूषकं गृह्णन्ति |
५. भगिनी उपायनं क्रीणाति | भगिन्य: उपायनं क्रीणन्ति |
६. बाल: क्रीडनकं चिनोति | बाला: क्रीडनकं चिन्वन्ति |
७. विक्रेता दुग्धं ददाति | विक्रेतर: दुग्धं ददन्ति |
९. युवक: उद्योगं प्राप्नोति | युवका: उद्योगं प्राप्नुवन्ति |
१०. मित्रं साहाय्यं करोति | मित्राणि साहाय्यम् कुर्वन्ति |
११. रुग्ण: कष्टेन रोदिति | रुग्णा: कष्टेन रुदन्ति |
अभ्यास: ११.५ (पृष्ठसङ्ख्या ३३)
ए. ब. ब. व.
१. करोति कुर्वन्ति२. शृणोति शृण्वन्ति
३. चिनोति चिन्वन्ति
४. प्राप्नोति प्राप्नुवन्ति
५. शक्नोति शक्नुवन्ति
६. गृह्णाति ` गृह्णन्ति
७. क्रीणाति क्रीणन्ति
८. जानाति जानन्ति
९. ददाति ददति
१०. रोदिति रुदन्ति
ए. ब. द्वि. व.
११. करोति कुरुत:
१२ शृणोति श्रुणुत:
१३. चिनोति चिनुत:
१४. शक्नोति शक्नुत:
१५. प्राप्नोति प्राप्नुत:
१६. गृह्णाति गृह्णीत:
१७. क्रीणाति क्रीणीत:
१८. जानाति जानीत:
१९. ददाति दत्त:
२०. रोदिति रुदत:
अभ्यास: ११.५ (पृष्ठसङ्ख्या ३३)
१. भवन्तौ विषयं जानीत: |२, ग्राहकौ वस्तु क्रीणीत: |
३. आरक्षकौ चोरं गृह्णीत: |
४. कर्मकरौ कार्यं कुरुत: |
५. भगिन्यौ सङ्गीतं शृणुत: |
६. भवत्यौ सर्वत्र गन्तुं शक्नुत: |
७. भक्तौ पुष्पं चिनुत: |
८. शिशू उच्चै: रुदत: |
९. दम्पती मधुरं प्राप्नुत: |
अभ्यास: ११.६ (पृष्ठसङ्ख्या ३४)
१. ग्राहक: वस्तुनि क्रीणाति | ग्राहकौ वस्तुनि क्रीणीत: | ग्राहका: वस्तुनि क्रीणन्ति |
२. अलस: निद्रां करोति | अलसौ निद्रां कुरुत: | अलसा: निद्रां कुर्वन्ति |
३. प्रतिनिधि वस्तु चिनोति | प्रतिनिधी वस्तु चिनुत: | प्रतिनिधय: वस्तु चिन्वन्ति |
४. माता भोजनं ददाति | मातरौ भोजनं दत्त: | मातर: ददति |
५. सेनापति पुरस्कारं प्राप्नोति | सेनापती पुरस्कारं प्राप्नुत: | सेनापतय: पुरस्कारं प्राप्नुवन्ति |
६. दाता दातुं शक्नोति | दातारौ दातुं शक्नुत: | दातार: दातुं शक्नुवन्ति |
७. कार्यकर्ता कार्यं जानाति | कार्यकर्तारौ कार्यं जानीत: | कार्यकर्तार: कार्यं जानन्ति |
८. शिष्य: उपदेशं शृणोति | शिष्यौ उपदेशं शृणुत: | शिष्या: उपदेशं श्रुण्वन्ति |
९. दरिद्र: दुखे:न रोदिति | दरिद्रौ दुखे:न रुदत: | दरिद्रा: दुखे:न रुदन्ति |
१०. शिशु कन्दुकम् गृह्णाति | शिशू कन्दुकम् गृह्णीत: | शिशव: कन्दुकम् गृह्णन्ति |
अभ्यास: ११.७ (पृष्ठसङ्ख्या ३४)
१. आरोहति
२. नयति
३. आकर्षति
४. चलति
५. ददाति
६. प्रक्षालयति
७. तरति
८. तिष्ठति
९. त्यजति
१०. शक्नोति
११. वदति
१२. अवतरति
१३. वहति
१४. हसति
१५. उपविशति
१६. करोति
१७. रक्षति
१८. वरति
१९. स्नाति
२०. विशति
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