अभ्यास: ८.१ (पृष्ठसङ्ख्या: १७)
२. रामकृष्णस्य शिष्य: विवेकानन्द: , विवेकानन्दस्य गुरु: रामकृष्ण: |
३. दाशरथे: पत्नी वैदेही | वैदेह्या: पति: दाशरथि: |
४. जमदग्ने पत्नी रेणुका | रेणुकाया: पति: जमदग्नि: |
५. अभिमन्युन: माता सुभद्रा | सुभद्राया: पुत्र: अभिमन्यु: |
अभ्यास: ८.३ (पृष्ठसङ्ख्या: १७)
१. भारतस्य राजधानी
देहली |२. काश्मीरस्य राजधानी श्रीनगरम् |
३. राजस्थानस्य राजधानी जयपुरम् |
४. कपे: चञ्चलतां पश्यतु |
५. मुने: मन: प्रशान्तं भवति |
६. गुरो: वाक्यानि स्मरन्तु |
७. स: बालक: पितु: प्रिय: |
८. युद्धे जेतु: अतीव आनन्द: भवति |
९. मातु: स्नेह: अतुल: |
१०. वीणाया: ध्वनि: मधुर: |
११. नद्या: गति: वक्रा |
१२. वस्तून: मूल्यम् अधिकम् |
अभ्यास: ८.५ (पृष्ठसङ्ख्या: १८)
२. बलरामस्य सहोदर: कृष्ण:|
३. कुचेलस्य मित्रम् कृष्ण:|
४. मीराया: स्वामी कृष्ण:|
५. देवक्या: पुत्र: कृष्ण:|
६. रुक्मिण्या: पति: कृष्ण:|
७. मथुराया: राजा कृष्ण:|
८. अर्जुनस्य सारथि: कृष्ण:|
अभ्यास: ८.५ (पृष्ठसङ्ख्या: १९)
१. गिरे:
नाम हिमालय:|२. पत्रिकाया: नाम सन्देश:|
३. देव्या: नाम सरस्वती |
४. ग्रन्थस्य नाम रामायणम् |
५. गिरे: नाम विन्ध्याचल::|
६. पत्रिकाया: नाम चन्दामामा |
७. देव्या: नाम अन्नपूर्णा |
८. ग्रन्थस्य नाम हर्षचरितम् |
अभ्यास: ८.६ (पृष्ठसङ्ख्या: १९)
देशयो: मध्ये युद्धं मा भवतु |
१. हस्तयो: संयोजनेन
अञ्जलि: भवति
|२. स: गुर्वॊ: आशीर्वादं प्राप्नोति |
३. भ्रात्रो: कलहेन भगिनी खिन्ना भवति |
४. वाहनो: घट्टनेन दुर्घटना भवति |
५. श्रीकृष्ण: सेनो: मध्ये अर्जुनस्य रथं स्थापयति |
६. अद्य कव्यो: सम्माननकार्यक्रम: अस्ति |
७. मम भगिन्यो: निवास: ग्रामे अस्ति |
८. कौरवाणां पिता धृतराष्ट्र: |
९. पाण्डवानां रक्षक: कृष्ण: |
१०. भारतीयानाम् धर्म: सनातन: |
११. अस्माकं भाषा संस्कृतम् |
१३. नदीनां जीवनं परोपकारार्थम् |
१४. भाषाणाम् जननी संस्कृतम् |
अभ्यास: ८.७ (पृष्ठसङ्ख्या: २०)
१. मयूरा: मेघानां
गर्जनम् इच्छन्ति
|२. पण्डित: नाटकानां रचना करोति |
३. बृहस्पति: देवानाम् गुरु: अस्ति |
४. सज्जना: सूक्तानां स्मरणं कुर्वन्ति |
५. गोपालक: धेनूनाम् पालनं करोति |
६. पिता वस्तूनां गणनं करोति |
७. वयं कार्यकतृणाम् वचनं शृणुम: |
८. अहं गुरुणाम् सेवां करोमि |
९. सभायां वाद्द्यानां ध्वनि: अधिक: अस्ति |
१०. माता अपत्यानां पालनं करोति |
अभ्यास: ८.८ (पृष्ठः २०)
१. वयं प्रतिदिनं
महापुरुषाणां जीवनचरित्रं
पठाम: |२. तेषां कवीनां कविता: रमणीया: सन्ति |
३. विवेकानन्दस्य वचनानां पठनेन स्फूर्ति: लभते |
४. तयो: मित्रयो: मैत्री जगत्प्रसिद्धा |
५. नियमानाम् अनुसरणेन जीवने अनुशासनं भवति |
६. कार्यकर्तृणां मध्ये सहकारभाव: आवश्यक: |
७. मतीनाम् ऐक्यं न सुलभम् |
८. अद्यत्वे नदीनां जलं कलुषितं भवति |
९. गोपालक: धेनुनां पालनं करोति |
१०. गुरूणाम् आज्ञा पालनीया |
अभ्यास: ८.९ (पृष्ठसङ्ख्या: २१)
१. लवस्य पितामह:
दशरथ: |२. लवस्य पितामही कौसल्या |
३. कुशस्य मातामह:जनक:
४. कुशस्य मातामही सुमेधा |
५. दशरथस्य पौत्र: लव: |
६. जनकस्य दौहित्र: कुश: |
७. लक्ष्मणस्य भ्रातृजाया सीता |
८. सीताया: देवर: लक्ष्मण: |
९. अर्जुनस्य श्याल: धृष्टद्द्युम्न: |
१०. रुक्मिण्या: ननान्दा सुभद्रा |
११. अर्जुनस्य पितृव्य: धृतराष्ट्र: |
१२. दुर्योधनस्य मातुल: शकुनि: |
१३. कंसस्य भागिनेय: कृष्ण: |
१४. अर्जुनस्य पितृव्या गान्धारी |
१५. अभिमन्यो: मातुलानी रुक्मिणी |
अभ्यास: ८.१० (पृष्ठसङ्ख्या: २१)
१. मम भार्तृजाया
रामेश्वरी |२. मम ननान्दा: अपर्णा |
३. मम भागिनेयी केतकी |
४. मम भागिनेय: कुणाल: |
५. अहं श्रीरामस्य मातुलानी |
अभ्यास: ८.११ (पृष्ठसङ्ख्या: २२)
१. ऐश्वर्यस्य
विभूषणं सुजनता
|२. शौर्यस्य विभूषणं वाक्संयम: |
३. ज्ञानस्य विभूषणं उपशम: |
४. कुलस्य विभूषणं विनय: |
५. वित्तस्य विभूषणं पात्रे व्यय: |
६. तपस: विभूषणं अक्रोध: |
७. बलवतां विभूषणं क्षमा |
८. धर्मस्य विभूषणं निर्व्याजता |
९. सर्वेषां विभूषणं शीलम् |
अभ्यास: ८.१२ (पृष्ठसङ्ख्या: २२)
१. त्यागस्य
फलं संतोष:
|२. पठनस्य फलं उत्तीर्णता |
३. अतिभोजनस्य फलं अजीर्णता |
४. आशाया: फलं दु:खम् |
५. भक्त्या: फलं मनशान्ति |
६. योगासनस्य फलं आरोग्यम् |
७. हिंसाया: फलं पापम् |
८. परोपकारस्य फलं मोक्ष: |
९. सेवाया: फलं पुण्यम्|
१०. परिश्रमस्य फलं साफल्यम् |
अभ्यास: ८.१४ (पृष्ठसङ्ख्या: २३)
पुण्यस्य पापस्य हस्तस्य कण्ठस्य श्रोत्रस्य पापानां परानन्दस्य चित्तवृत्तीनां
अभ्यास: ८.१५ (पृष्ठसङ्ख्या: २३)
१. भवतां संतोष: एव अस्माकं पारितोषिकम् |
२. सदा सर्वेषां कल्याणं चिन्तयतु |
३. हस्तयो: मध्ये कोSपि कनिष्ठ: कोSपि वरिष्ठ: नास्ति|
४. पितु: आज्ञा शिरोधार्य राम: वनवासार्थं गतवान् |
५. युष्माकं भारं मां ददातु |
- ज्योति गावडे
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