Tuesday, June 28, 2016

अध्याय: १७ - क्रियापदस्य विभज्य प्रयोग:


अभ्यासः १७. १ (पृष्ठसङ्ख्या  ४६)

१.  रहस्यस्य उद्घाटनं करोति | 
२. सज्जनस्य सत्कारं करोति |
३. वस्त्राणां प्रक्षालनं कुर्वन्ति |
४. मूर्ते: प्रतिष्ठापनं करोति |
५.  धनस्य अर्जनं करोमि |
६. पाठस्य अनुवादं कुर्म:| 
७. मित्रस्य आह्वानं करोषि |



अभ्यासः १७. २ (पृष्ठसङ्ख्या  ४७)

१. ग्रंथस्थ पठनं अकरोत् |
२. समस्याया: परिहारं करोमि |
३. विद्द्यालयस्य उद्घाटनं कुर्म: | 
४. मित्रस्य आह्वानं करोति |
५. चित्रस्य मण्डनं करोति | 
६. प्रस्तावस्य उपस्थापनं करोमि |
७. मुखस्य अलङ्करणं करोषि |  
८. पाठस्य परिशोधनं कुर्म: |
९. श्लोकस्य अनुवादं करोमि |
१०. विज्ञानप्रदर्शिन्या: आयोजनं करोति |


अभ्यासः १७. ३ (पृष्ठसङ्ख्या  ४८)

१. अनुकरणं कुर्वन्ति |
२. पानं करोति |
३. लालनं करोति |
४. पाठनं करोमि |
५. गमनं कुर्म: |
६. गानं करोषि |
७. धावनं कुरुथ:|
८. आच्छादनं करोति | 
९. मण्डनं करोति |
१०. विवरणं करोति |
११. संग्रहणं करोति |
१२. प्रक्षालनं करोति |
१३. अनुपालनम् कुर्म:|
१४. सम्मार्जनम् कुर्वन्ति |
१५. परिभ्रमणं करोति |
१६. प्रक्षालनं करोति |
१७. पालनं कुरुथ |
१८. अन्वेषणं कुर्म:|
१९. गमनं करोति |

अभ्यासः १७. ४ (पृष्ठसङ्ख्या  ४९)
१. ते आच्छादयन्ति |
२. सा परिहरति | 
३. त्वम् अन्वेषयसि |
४. वयं चिन्तयाम: |
५. तौ लालयत: |
६.  आवाम् नमाव: | 
७. वयं पठाम: |
८.  अहं भ्रमामि |
९. यूयं अनुसरथ |


अभ्यासः १७. ५ (पृष्ठसङ्ख्या  ४९)
१. सा कृष्णफलकस्य मार्जनं करोति |
२. वयं इतिहासस्य लेखनं कुर्म:|
३.  ते देवानां पूजनं कुर्वन्ति |
४. त्वं वस्त्रस्य धारणं करोषि | 
५. छात्र: ज्ञानस्य अर्जनं करोति |
६. महिला: अतिथे आह्वानं कुर्वन्ति |
७. स: यानानां प्रक्षालनं करोति |
८. अहं योजनाया: उद्घोषणं करोमि |
९. त्वं कार्यक्रमाणां उद्घाटनं करोषि |
१०. ता: प्रतिभाया: प्रदर्शनं कुर्वन्ति |

  

Monday, June 27, 2016

अध्यायः १६ - क: समय:?


अभ्यासः १६. १ (पृष्ठसङ्ख्या  ४४)

१. एकवादनम् 
२. सार्धद्विवादनम्  
३. पादोनचतुर्वादनम्  
४. चतुर्वादनम् 
५. द्विवादनम्
६. सपादद्विवादनम् 
७. सार्धत्रिवादनम् 
८. पादोनपंचवादनम् 
९. सार्धपंचवादनम्
१०. अष्टवादनम्
११. षड्वादनम्
पादोनसप्तवादनम्   
पादोनअष्टवादनम् 
. सपादनववादनम् 
. दशवादनम् 
. सपाददशवादनम्
. एकादशवादनम्
. सपादएकादशवादनम्  
. द्वादशवादनम् 
२०. सार्धद्वादशवादनम्  
२१. पञ्चाधिकषड्वादनम्   
२२. पञ्चोनषड्वादनम्  
२३. पञ्चोननववादनम्  
२४. दशाधिकदशवादनम्  
२५. पञ्चाधिकद्वादशवादनम्   
२६. पञ्चाधिकएकादशवादनम्  
२७. दशाधिकसप्तवादनम्  
२८.  दशोनसप्तवादनम्  
२९. दशाधिकसार्धपंचवादनम् 
३०.  पञ्चाधिकसपादषड्वादनम्
३१.  पञ्चोनसार्धषड्वादनम्
३२. पञ्चाधिकसार्धअष्टवादनम् 

अभ्यासः १६.  (पृष्ठसङ्ख्या  ४)
१. २:०० 
२. ७:१५
३. ५:४५
४. ९:३०
५. १०:००
६. १०:१५
७. १०:३०
८. ९:४५
९. ३:४५
१०. ७:४५
११. १२:१५
१२. ८:३०
१३. ८:१५
१४. १२:३०
१५. १२:४५
१६. २:००

किं समीचीनम् 
१. द्विवादनम्  (समीचीनम्)  द्वेवादनं (असमीचीनम् ) 
२. एकं वादनम्  (असमीचीनम्)  एकवादनं (समीचीनम् ) 
३. चत्वारिवादनम्  (असमीचीनम्)  चतुर्वादनं (समीचीनम् ) 
४. त्रिवादनम् (समीचीनम्)  त्रीणि वादनं (असमीचीनम् ) 

Tuesday, June 21, 2016

अध्यायः १५ - सङ्ख्याः


अभ्यासः १५. १ (पृष्ठसङ्ख्या  ४२)

१. एक:  शिरः ।
२. एका नासिका ।
. द्वे चित्रे ।
४. दश अङगुल्यः ।
५. एकं मुखम् ।
६. द्वे नेत्रे ।
७. षड्विंशति: दिवसाः ।
८. अष्टाविंशतिः करवस्त्राणि ।
९. द्वात्रिंशत् दन्ताः ।
१०. त्रयस्त्रिंत्शत्  स्तम्भाः ।
११. चतुस्त्रिंशत् सोपानानि ।
१२. अष्टात्रिंशत्  ग्रन्थाः ।
१३.  द्विचत्वारिंशत् लेखन्यः ।
१४. एका पत्रिका ।
१५. त्रीणि फलानि ।
१६. चत्वारि व्यञ्जनानि ।
१७. अष्ट पर्णानि ।
१८. पञ्च पाञ्चालिकाः ।
१९. चतुस्सप्ततिः पनसफलानि ।
२०. अशीतिः छात्राः ।
२१. द्व्यशीतिः  छायाचित्राणि ।
२२. पञ्चाशत्  शिक्षिकाः ।
२३. षडशीतिः द्रोण्यः ।
१४. अष्टाशीतिः  वानराः।
२५. चतुर्नवतिः विध्युदीपाः
२६. चतुश्चत्वारिंशत् घटाः ।
२७. अष्टचत्वारिंशत् चमसा: ।
२८. चतुष्पञ्चाशत् चषकाः ।
२९. चतुःषष्टिः इष्टिकाः ।
३०.  द्विसप्तति: नारङ्गफलानि ।
३१. अष्टसप्ततिः  जम्बीराणि ।
३२. एकाशीतिः स्थालिकाः ।
३३. त्र्यशीतिः दर्पणाः ।
३४. चतुरशीतिः दीपाः।
३५. सप्ततिः व्याघ्राः।
३६. दश पिपीलिकाः ।
३७. द्वादश लोकयनानि।

अध्याय: १४ - शरीरावयवा:

अभ्यासः १४. १ (पृष्ठसङ्ख्या  ४१)

१. केशाः
२. ललाटः
नासिका
४. नेत्रम्
५. कपोलः
६. भुज: 
७. उदरम्
८. कटिः
.  पाद:
१०. नखः

अध्याय: १३ आज्ञाप्रार्थनादय:


   
अभ्यास: १३.१ (पृष्ठसङ्ख्या ३८)
१. भवान् सूचयतु |
२. भवती गायतु |
३. भवान् प्रेषयतु |
४. भवती चलतु |
५. भवान् त्यजतु |
६. भवती मिलतु |
७. भवान् सञ्चरतु |
७. भवती तिष्ठतु |
८. भवान् प्रदर्शयतु |
९. भवती जानतु |
१०. भवान् दण्डयतु |
११. भवती प्रक्षालयतु |

अभ्यास: १३.२ (पृष्ठसङ्ख्या ३८)
१. सन्मार्गम् अनुसरतु |
२. सहयोगं ददातु |
३. प्रकृतिं अनुसरतु |
४. संस्कृतं स्मरतु |
५. ध्येयं लसतु |
६. भारतं जयतु |

अभ्यास: १३.३ (पृष्ठसङ्ख्या ३८)
१. भवान् परिश्रमं करोतु |
२. भवान् जागरुक: भवतु |
३. भवती प्रवचनं शृणोतु |
४. भवती विजयं प्राप्नोतु |
५. भवान् शक्तिं सम्पादयतु |
६. भवती दुर्गुणं त्यजतु |
७. भवान् लक्ष्यं साधयतु |
८. भवति पराक्रमं प्रदर्शयतु |
९. भवान् चित्रं निर्मातु |
१०. भवती नूतनं सृजतु |

अभ्यास: १३.४ (पृष्ठसङ्ख्या ३९)
१. भवान् नमतु | भवन्तौ नमताम् | भवन्त: नमन्तु |
२. स: रक्षतु | तौ रक्षताम् | ते रक्षन्तु |
३. सा भ्रमतु | ते भ्रमताम् | ता: भ्रमन्तु |
४. त्वं त्यज | युवां त्यजतम् | यूयं त्यजत |
५. त्वं स्पृश | युवां स्पृशतम् | यूयं स्पृशत |
६. त्वं कूज | युवां कूजतम् | यूयं कूजत |
७. अहं पचानि | आवां पचाव | वयं पचाम |
८. अहं तरानि | आवां तराव | वयं तराम |
९. अहं भवानि | आवां भवाव | वयं भवाम |

अभ्यास: १३.४  (पृष्ठसङ्ख्या ४०)
१. त्वं वद |
२. अहं चलानि |
३. भवान् उपविशतु |
४. तौ गायताम् |
५. युवां शृणतम् |
६. आवां भजताव |
७. ते कुर्वन्तु |
८. ते निर्माताम् |
९. वयं प्राप्नुम |
१०. यूयं तिष्ठत |
११. भवन्त: ददन्तु |
१२. त्वं कथय |
१३. अहं पिबानि |
१४. युवां नयतम् |
१५. यूयं गच्छत |
१६. आवां क्रीडाव |
१७. वयं शृणुयाम |
१८. भवन्तौ प्रविशताम् |
१९. भवन्त: जयन्तु |

अभ्यास: १३.६ (पृष्ठसङ्ख्या ४०)  
१. अभ्यासं कुरु |
२. निद्रां मा कुरु |
३. परिश्रमं कुरु |
४. अलसं मा कुरु |
५. गायनं कुरु |
६. रोदनं मा कुरु |
७. व्यायामं कुरु |
८. भोजनं मा कुरु |
९. लेखनं कुरु |
१०. श्रवणम् मा कुरु |
११. पिधानं कुरु |
१२. उद्घाटनं मा कुरु |
१३. परोपकारं कुरु |
१४. निन्दाम् मा कुरु |
१५. सहाय्यम् कुरु |

अभ्यास: १३.७ (पृष्ठसङ्ख्या ४०)  
१. महोदय ! आगच्छतु |
२. पादत्राणे अत्र स्थापयतु |
३. स्यूता: ददातु |
४. शिरस्त्राणम्  
५. जलं स्वीकरोतु |
६. हस्तौ पादौ च प्रक्षालयतु |
७. आसन्दे उपविशतु |
८. परिवारस्य कुशलं कथयतु |
९. चायं स्वीकरोतु |
१०. अतिश्रमा: भूता: चेत् निद्रां करोतु |

अध्याय: १२ क: किं करोति?


अभ्यास: १२.१ (पृष्ठसङ्ख्या 36)

१. विनिर्माति
२. वयति
३. करोति    
४. गायति
५. अर्चति
६. रक्षति
७. यच्छति
८. याचति
९. विलिखति
१०. चालयति
११. विक्रीणीते
१२. क्रीणाति
१३. रचयति
१४. सज्जयति
१५. तनोति
१६. तापयति
१७. चोरयति
१८. आनयति
१९. सीव्यति
२०. लुनाति 

अभ्यास: १२.२ (पृष्ठसङ्ख्या 36)
१. तन्तुवाय: पटं वयति |
२. गायक: गीतं गायति |
३. सैनिक: देशं रक्षति |
४. भिक्षुक: भिक्षां याचति |
५. चालक: यानं चालयति |
६. पत्रकार: वार्तां सज्जयति |
७. चार: वार्तां आनयति |
८. स्वर्णकार: भूषां तनोति |
९. क्षौरिक: केशान् लुनाति |
१०. लेखक: लेखान् विलिखति |
११. सौचिक: वस्त्राणि सीव्यति |

अध्याय: ११ वर्तमानकाल:


अभ्यास: ११.१ (पृष्ठसङ्ख्या २८)
१. कवि: रचयति | कवी रचयत: | कवय: रचयन्ति |
२. यानं चलति | याने चलत: | यानानि चलयन्ति |
३. माता पालयति | मातरौ पालयत: | मातर: पालयन्ति |
४. पिक: कूजति | पिकौ कूजत:| पिका: कूजन्ति |
५. बाल: चुटति |   बालौ चुटत: | बाला: चुटन्ति |
६. वृक्षः फलति | वृक्षौ फलत: | वृक्षा: फलन्ति |
७. महिला जल्पति | महिले जल्पत: | महिला: जल्पन्ति |
८. वस्त्रं शुष्यति | वस्त्रं शुष्यत: | वस्त्रं शुष्यन्ति |
९. शुक: रटति | शुकौ रटत: | शुका: रटन्ति |
१०. चोर: चोरयति | चोरौ चोरयत: |  चोरयन्ति
११. पुष्पं विकसति | पुष्पे विकसत: | पुष्पाणि विकसन्ति |
१२. वानर: आरोहति | वानरौ आरोहत: | वानरा: आरोहन्ति |
१३. पिता नयति |  पितरौ नयत: | पितर: नयन्ति |
१४. मशक: दशति | मशकौ दशत: | मशका: दशन्ति |
१५. कार्यं सिध्यति | कार्ये सिध्यत: | कार्याणि सिध्यन्ति |
१६. सौचिक: सीव्यति | सौचिकौ सीव्यत: | सौचिका: सीव्यन्ति |
१७. मूर्ख: निन्दन्ति | मूर्खौ निन्दत: | मूर्खा: निन्दन्ति |
१८. चालक: चालयति | चालकौ चालयत: | चालका: चालयन्ति |  
१९. कृषक: कर्षति | कृषकौ कर्षत: | कृषका: कर्षन्ति |   
२०. भगिनी स्निह्यति | भगिन्यौ स्निह्यत: | भगिन्य: स्निह्यन्ति |
२१. सिंह: गर्जति | सिंहौ गर्जत:| सिंहा: गर्जन्ति |
२२. चटक: कूजति | चटकौ कूजत: | चटका: कूजन्ति |
२३. तक्षक: तक्षति | तक्षकौ तक्षत: | तक्षका: तक्षन्ति |
२४. कार्यकर्ता संञ्चरति | कार्यकर्तारौ सञ्चरत: | कार्यकर्तार: सञ्चरन्ति |
२५. वैद्य: चिकित्सति | वैद्यौ चिकित्सत: | वैद्या चिकित्सन्ति |

अभ्यास: ११,२ (पृष्ठसङ्ख्या २९)

१. बाल: प्रविशति | बालौ प्रविशत: | बाला: प्रविशन्ति |
२. सेवक: भ्रमति | सेवकौ भ्रमत: | सेवका: भ्रमन्ति |
३. भक्त: अर्चति | भक्तौ अर्चत: | भक्ता: अर्चन्ति |
४. अतिथि: प्रविशति | अतिथी प्रविशत: | अतिथय: प्रविशन्ति |
५. पण्डित: चिन्तयति | पण्डितौ चिन्तयत: | पण्डिता: चिन्तयन्ति |
६. साधु ध्यायति | साधू ध्यायत: | साधव: ध्यायन्ति |
७. बाल: विस्मरति | बालौ विस्मरत: | बाला: विस्मरन्ति |
८. सेवक: अर्चति | सेवकौ अर्चत: | सेवका: अर्चन्ति |
९. भक्त: ध्यायति | भक्तौ ध्यायत: | भक्ता: ध्यायन्ति |
१०. अतिथि चिन्तयति | अतिथी चिन्तयत: | अतिथय: चिन्तयन्ति |
११. पण्डित: प्रविशति | पण्डितौ प्रविशत: | पण्डिता: प्रविशन्ति |
१२. साषु भ्रमति | साधू भ्रमत: | साधव: भ्रमन्ति |
१३. बाल: चिन्तयति | बालौ चिन्तयत: | बाला: चिन्तयन्ति |
१४ सेवक: प्रविशति | सेवकौ प्रविशत: | सेवका: प्रविशन्ति |
१५. भक्त: भ्रमति | भक्तौ भ्रमत: | भक्ता: भ्रमन्ति |

अभ्यास: ११.३ (पृष्ठसङ्ख्या ३२)

१. अहं सेवां करोमि | आवां सेवां कुर्व: | वयं सेवां कुर्म: |
२. त्वं सेवां करोषि | युवां सेवां कुरुथ: | यूयं सेवां
३. अहं भजनं शृणोमि | आवां भजनं शृणुव: | वयं भजनं शृणुम: |
४. त्वं प्रवचनं  शृणोसि | युवां प्रवचनं शृणुथ: | यूयं प्रवचनं शृणुथ |
५. अहं वस्त्रं चिनोमि | आवां वस्त्रं  चिनुव: | वयं वस्त्रं चिनुम: |
६. त्वं शाकं चिनोसि | युवां शाकं चिनुथ: | यूयं शाकं चिनुथ |
७. अहं दातुं शक्नोमि | आवां दातुं  शक्नुव: | वयं दातुं शक्नुम: |  
८. त्वं ज्ञातुं शक्नोसि |  युवां  ज्ञातुं शक्नुथ | यूयं ज्ञातुं शक्नुथ |  
९. अहं ज्ञानं प्राप्नोमि | आवां ज्ञानं प्राप्नुव: | वयं ज्ञानं प्राप्नुम: |
१०. त्वं उद्दोगं प्राप्नोसि | युवां उद्दोगं प्राप्नुथ: | यूयं उद्दोगं प्राप्नुथ |
११. अहं शत्रुं गृह्णामि | आवां शत्रुं गृह्णीव: |  वयं शत्रुं गृह्णीम:|
१२. त्वं चोरं गृह्णासि | युवां चोरं गृह्णीथ: | यूयं चोरं गृह्णीथ |
१३. अहं भूमिं क्रीणामि | आवां भूमिं क्रीणीव: |  वयं भूमिं क्रीणीम: |
१४. त्वं भवनं क्रीणासि | युवां भवनं क्रिणीथ: | यूयं भवनं क्रीणीथ |
१५. अहं रामायणं जानामि | आवां रामायणं जानीव: | वयं रामायणं जानीम: |   
१६. त्वं महाभारतं जानासि |  युवां महाभारतं जानीथ: | यूयं महाभारतं जानीथ |
१७. अहं पीडया रोदिमि | आवां पीडया रुदव: | वयं पीडया रुदम: |
१८. त्वं भीत्या रोदिसि | युवां भीत्या रुदथ: | यूयं रुदथ |
१९. अहं धनं ददामि | आवां धनं दद्व: | वयं धनं दद्म: |  
२०. त्वं भोजनं ददासि | युवां भोजनं दत्थ: | यूयं ददथ |

अभ्यास: ११.४ (पृष्ठसङ्ख्या 33)
१. विधाता सर्वं जानाति | विधातर: सर्वं जानन्ति |
२. वक्ता भाषणं करोति | वक्तार: भाषणं कुर्वन्ति |
३. पङगु चलितुं शक्नोति | पङ्गव: चलितुम् शक्नुवन्ति |
४. मार्जार: मूषकं गृह्णाति | मार्जारा: मूषकं गृह्णन्ति |
५. भगिनी उपायनं क्रीणाति | भगिन्य: उपायनं क्रीणन्ति |
६. बाल: क्रीडनकं चिनोति | बाला: क्रीडनकं चिन्वन्ति |
७. विक्रेता दुग्धं ददाति | विक्रेतर: दुग्धं ददन्ति |
९. युवक: उद्योगं प्राप्नोति | युवका: उद्योगं प्राप्नुवन्ति |
१०. मित्रं साहाय्यं करोति | मित्राणि साहाय्यम् कुर्वन्ति |
११. रुग्ण: कष्टेन रोदिति | रुग्णा: कष्टेन रुदन्ति |

  अभ्यास: ११.५ (पृष्ठसङ्ख्या ३३)
    ए. ब.             ब. व.
१. करोति             कुर्वन्ति
२. शृणोति             शृण्वन्ति
३. चिनोति             चिन्वन्ति
४. प्राप्नोति             प्राप्नुवन्ति
५. शक्नोति          शक्नुवन्ति
६. गृह्णाति `            गृह्णन्ति
७. क्रीणाति         क्रीणन्ति
८. जानाति             जानन्ति
९. ददाति             ददति
१०. रोदिति             रुदन्ति

    ए. ब.             द्वि. व.
११. करोति             कुरुत:
१२ शृणोति             श्रुणुत:
१३. चिनोति             चिनुत:
१४. शक्नोति         शक्नुत:
१५. प्राप्नोति            प्राप्नुत:
१६. गृह्णाति             गृह्णीत:
१७. क्रीणाति         क्रीणीत:
१८. जानाति             जानीत:
१९. ददाति             दत्त:
२०. रोदिति             रुदत:

अभ्यास: ११.५  (पृष्ठसङ्ख्या ३३)
१. भवन्तौ विषयं जानीत: |
२, ग्राहकौ वस्तु क्रीणीत: |
३. आरक्षकौ चोरं गृह्णीत: |
४. कर्मकरौ कार्यं कुरुत: |
५. भगिन्यौ सङ्गीतं शृणुत: |
६. भवत्यौ सर्वत्र गन्तुं शक्नुत: |
७. भक्तौ पुष्पं चिनुत: |
८. शिशू उच्चै: रुदत: |
९. दम्पती मधुरं प्राप्नुत: |
 
अभ्यास: ११.६  (पृष्ठसङ्ख्या ३४)
१. ग्राहक: वस्तुनि क्रीणाति | ग्राहकौ वस्तुनि क्रीणीत: | ग्राहका: वस्तुनि क्रीणन्ति |
२. अलस: निद्रां करोति |  अलसौ निद्रां कुरुत: | अलसा: निद्रां कुर्वन्ति |
३. प्रतिनिधि वस्तु चिनोति | प्रतिनिधी वस्तु चिनुत: | प्रतिनिधय: वस्तु चिन्वन्ति |
४. माता भोजनं ददाति | मातरौ भोजनं दत्त: | मातर: ददति |
५. सेनापति पुरस्कारं प्राप्नोति |  सेनापती पुरस्कारं प्राप्नुत: | सेनापतय: पुरस्कारं प्राप्नुवन्ति |
६. दाता दातुं शक्नोति | दातारौ दातुं शक्नुत: | दातार: दातुं शक्नुवन्ति |
७. कार्यकर्ता कार्यं जानाति | कार्यकर्तारौ कार्यं जानीत: | कार्यकर्तार: कार्यं जानन्ति |
८. शिष्य: उपदेशं शृणोति | शिष्यौ उपदेशं शृणुत: | शिष्या: उपदेशं श्रुण्वन्ति |
९. दरिद्र: दुखे:न रोदिति | दरिद्रौ दुखे:न रुदत: | दरिद्रा: दुखे:न रुदन्ति |
१०. शिशु कन्दुकम् गृह्णाति | शिशू कन्दुकम् गृह्णीत: | शिशव: कन्दुकम् गृह्णन्ति |

अभ्यास: ११.७  (पृष्ठसङ्ख्या ३४)   
१. आरोहति
२. नयति
३. आकर्षति
४. चलति
५. ददाति
६. प्रक्षालयति
७. तरति
८. तिष्ठति 
९. त्यजति
१०. शक्नोति
११. वदति
१२. अवतरति
१३. वहति
१४. हसति
१५. उपविशति
१६. करोति
१७. रक्षति
१८. वरति
१९. स्नाति
२०. विशति

Friday, June 10, 2016

अध्याय १०: आवश्यकम् / मास्तु / पर्याप्तम् / धन्यवाद: / स्वागतम्


 अभ्यास: १०.१  (पृष्ठसङ्ख्या २६)
१. गुरो: आज्ञापालनम् आवश्यकम् अस्तु |
२. अधिकं भोजनं मास्तु |
३. बालकस्य उचितं नामकरणम् आवश्यकम् |
४. ज्येष्ठानां निन्दनं आवश्यकम् |
५. पुत्र| 11 वादनं जातं, पठनं आवश्यकम् |

Tuesday, June 7, 2016

अध्याय ९: पुरत: / पृष्ठत: / वामत: / दक्षिणत: / उपरि / अध: / अन्त:


 अभ्यास: ९.१ (पृष्ठसङ्ख्या: २३)

१. अध्यापिका छात्राणाम् पुरत: अस्ति |
२. भित्ति अध्यापिकाया: पृष्ठत: अस्ति |
३. उत्पीठिका अवकारिकाया: उपरि अस्ति |
४. पुस्तकं लेखन्या: अध: अस्ति |
५. लेखनी पुस्तकस्य उपरि अस्ति |
६. मानचित्रम् अद्यापिकाया: वामत: अस्ति |
७. आसन्द: अद्यापिकाया: दक्षिणत: अस्ति |
८. शिक्षणं कक्ष्याया: अन्त: प्रचलति |

अभ्यास: ९.२ (पृष्ठसङ्ख्या: २४)
१. बालकस्य पुरत: शकट: अस्ति |
२. उद्यानस्य पृष्ठत: गृहाणि सन्ति |
३. वृक्षस्य उपरि फलानि सन्ति |
४. वाक्यं कृष्णफलकस्य उपरि लिखितम् अस्ति |
५. कृष्णफलकं द्वारस्य दक्षिणत: अस्ति |
६. छात्राणाम् पृष्ठत: भावचित्रम् नास्ति |
७. भावचित्रम् अध्यापकस्य वामत: अस्ति |
८. नेत्रे नासिकाया: उपरि स्त: |
९. नासिका नेत्रयो: अध: अस्ति |
१०. नासिका ओष्ठस्य उपरि अस्ति |
११. जलं कूप्या: अन्त: अस्ति |
१२. मण्डूक: जलस्यअन्त: अस्ति |
१३. प्रकोष्ठस्य अन्त: कोSपि नास्ति |
१४. लेखनी स्यूतस्य अन्त: आसीत् ?
१५. मीन: कस्य अन्त: तरति |
१६. ते विद्यालयस्य वामत: दक्षिणत: नारिकेलसस्यम् आरोपयन्ति |
१७. पुस्तकालय: नद्या: दक्षिणत: अस्ति, वामत: |
१८. पुस्तकं लेखन्या: पृष्ठत: अस्ति, पुरत: |
१९. बालका: वृक्षस्य अध: सन्ति, उपरि |
२०. क: पाकशालाया: अन्त: अस्ति |